भुजंगासन क्या है ? भुजंगासन करने का तरीका क्या है? और भुजंगासन के स्वास्थ्यवर्धक लाभ क्या हैं?
Bhujangasana in Hindi | भुजंगासन | कोबरा पोज़ |
भुजंगासन फन उठाए हुएँ साँप की भाँति प्रतीत होता है, इसलिए इस आसन का नाम भुजंगासन है। भुजंगासन सूर्यनमस्कार और पद्मसाधना का एक महत्त्वपूर्ण आसान है जो हमारे शरीर के लिए अति लाभकारी है। यह छाती और कमर की मासपेशियो को लचीला बनाता है और कमर में आये किसी भी तनाव को दूर करता है। मेरुदंड से सम्बंधित रोगियों को अवश्य ही भुजंगासन बहुत लाभकारी साबित होगा। स्त्रियों में यह गर्भाशय में खून के दौरे को नियंत्रित करने में सहायता करता है। गुर्दे से संबंधित रोगी हो या पेट से संभंधित कोई भी परेशानी, ये आसान सा आसन सभी समस्याओं का हल है।
भुजंगासन इस प्रकार करें| How to do Bhujangasana
ज़मीन पर पेट के बल लेट जाएँ, पादांगुली और मस्तक ज़मीन पे सीधा रखें।
पैर एकदम सीधे रखें, पाँव और एड़ियों को भी एकसाथ रखें।
दोनों हाथ, दोनों कंधो के बराबर नीचें रखे तथा दोनों कोहनियों को शरीर के समीप और समानान्तर रखें।
दीर्घ श्वास लेते हुए, धीरे से मस्तक, फिर छाती और बाद में पेट को उठाएँ। नाभि को ज़मीन पे ही रखें।
अब शरीर को ऊपर उठाते हुए, दोनों हाथों का सहारा लेकर, कमर के पीछे की ओर खीचें।
ध्यान दें: दोनों बाजुओं पे एक समान भार बनाए रखें।
सजगता से श्वास लेते हुए, रीड़ के जोड़ को धीरे धीरे और भी अधिक मोड़ते हुए दोनों हाथों को सीधा करें; गर्दन उठाते हुए ऊपर की ओर देखें।
ध्यान दें: क्या आपके हाथ कानों से दूर हैं? अपने कंधों को शिथिल रखेंl आवश्यकता हो तो कोहनियों को मोड़ भी सकते हैं। यथा अवकाश आप अभ्यास ज़ारी रखते हुए, कोहनियों को सीधा रखकर पीठ को और ज़्यादा वक्रता देना सीख सकते हैं।
ध्यान रखें कि आप के पैर अभी तक सीधे ही हैं। हल्की मुस्कान बनाये रखें, दीर्घ श्वास लेते रहें मुस्कुराते भुजंग।
अपनी क्षमतानुसार ही शरीर को तानें, बहुत ज़्यादा मोड़ना हानि प्रद हो सकता हैं।
श्वास छोड़ते हुए प्रथमत: पेट, फिर छाती और बाद में सिर को धीरे से वापस ज़मीन ले आयें।
भुजंगासन के लाभ | Benefits of Bhujangasana
अस्थमा तथा अन्य श्वास प्रश्वास संबंधी रोगों के लिए अति लाभदायक (जब अस्थमा का दौरा जारी हो तो इस आसन का प्रयोग ना करें)।
पेट के स्नायुओं को मज़बूत बनाना।
कंधे और गर्दन को तनाव से मुक्त कराना।
संपूर्ण पीठ और कंधों को पुष्ट करना।
रीढ़ की हड्डी का उपरवाला और मंझला हिस्सा ज़्यादा लचीला बनाना।
थकान और तनाव से मुक्ति पाना।
इस अवस्था में भुजंगासन ना करें |
गर्भवती महिलाएँ, या जिनकी पसली या कलाई में कोई दरार हो, या हाल ही में पेट का ऑपरेशन हुआ हो, जैसे के हर्निया, उन्हें यह आसन टालना होगा।
कारपेल टनेल सिंड्रोम के मरीज भी भुजंगासन ना करें।
यदि आप लंबे समय से बीमार हों या रीढ़ की हड्डी के विकार से ग्रस्त रह चुके हों तो, भुजंगासन का अभ्यास योग के प्रशिक्षक के निगरानी में ही करें।
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