मत्स्य पुराण – matsya purana in hindi pdf
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मत्स्य पुराण (Matsya Purana) अष्टादश पुराणों (18 Puran) में से एक मुख्य पुराण है। इसमें 14 हजार श्लोक एवं 291 अध्याय है। भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार से सम्बद्ध होने के कारण यह पुराण मत्स्य पुराण कहलाता है। भगवान ने मत्स्यावतारी महात्म्य के द्वारा राजा वैवश्वत मनु तथा सप्त ऋषियों को जो कल्याणकारी उपदेश दिये, वही मत्स्य पुराण है।
मत्स्य पुराण कथा सार –
प्रलय काल से पूर्व मनु महाराज कृत माला नदी में स्नान करने गये। सन्घ्या वन्दन करते हुये मनु सूर्य को अर्ग दे रहे थे तो उनके हाथ में एक छोटी सी मछली आ गयी। मनु महाराज ने उस मछली को छोड़ना चाहा तो वह मछली मानवीय भाषा में करूणा के साथ बोली, महाराज मुझे यहाँ मत छोड़ना। यहाँ बड़े-बड़े जीव-जन्तु रहते हैं मुझे खा जायेंगे। तब महाराज मनु ने उस मछली को कमण्डल में रख लिया और अपने महल में आ गये।
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लेकिन एक रात में वह मछली इतनी बड़ी हो गयी कि कमण्डलु में रहने के लिये उसके लिये कोई स्थान नहीं रह गया। तब वह महाराज मनु से बोली, राजन्, मुझे यहाँ कष्ट होता है, मुझे किसी बड़े स्थान पर रहना है। तब राजा ने उस मछली को वहाँ से हटा कर एक बड़े घड़े में रख दिया। लेकिन दूसरे दिन वह मछली घड़े से भी बड़े आकार की हो गयी सो मनु महाराज ने उसे तालाब में छोड़ दिया लेकिन रात बढ़ते-बढ़ते वह दो-योजन और बड़ी हो गयी। राजा ने अब उस मछली को गंगा जी में छोड़ दिया, अन्त में वह गंगा जी से समुद्र में चली गयी। लेकिन समुद्र में भी वह निरन्तर बढ़ने लगी। वह रक्षा के लिये प्रार्थना करने लगी।
राजा ने देखा तो उन्हें बड़ा आश्चर्य हुआ एवं प्रार्थना करने लगे, प्रभु मत्स्य रूप में हमें मोहित करने वाले आप कोई साधारण शक्ति नहीं हैं। आप सर्वशक्तिमान, सर्वव्यापी भगवान हरि हैं। क्यों आपने यह स्वरूप धारण किया है? यह बताने की कृपा करें।