शिखा (चोटी) धारण की आवश्यकता- hikha Dharan ki Awasyakata – Hindi book by – Swami Ramsukhadas
भगवान
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भगवान् की प्राप्ति इच्छा से होती है।
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भगवान् प्राप्त होनेपर कभी बिछुड़ते नहीं।
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भगवान् की प्राप्ति जब होती है, पूरी होती है।
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भगवान् को प्राप्त करने की इच्छा होते ही पापों का नाश होने लगता है।
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भगवान् को प्राप्त करने की साधनामें शान्ति मिलती है।
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भगवान् का स्मरण करते हुए मरनेवाला सुख-शान्ति पूर्वक मरता है
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भगवान् का स्मरण करते हुए मरनेवाला निश्चय ही भगवान् को प्राप्त होता है।
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भोग
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भोगोंकी प्राप्ति कर्म से होती है, इच्छा से नहीं होती।
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भोग बिना बिछुड़े कभी रहते नहीं।
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भोगों की प्राप्ति सदा अधूरी ही रहती है।
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भोगों को प्राप्त करनेकी इच्छा होते ही पाप होने लगते हैं।
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भोगों को प्राप्त करने की साधना में अशान्ति बढ़ती है।
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भोगों का स्मरण करते हुए मरनेवाला अशान्ति और दुःखपूर्वक मरता है।
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भोगों का स्मरण करते हुए मरनेवाला निश्चय ही नरकों में जाता है।
शिखा रखने से लाभ
‘अखिल भारतीय पण्डित महापरिषद’ (वाराणसी) ने शिखा रखनेके निम्न लाभ बताये हैं—
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शिखा रखने तथा उसके नियमों का यथावत् पालन करने से मनुष्य को सद्बुद्धि, सद्विचार आदि की प्राप्ति होती है।
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शिखा रखनेसे आत्मशक्ति प्रबल बनी रहती है।
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शिखा रखने से मनुष्य धार्मिक, सात्त्विक और संयमी बनता है।
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शिखा रखने से मनुष्य लौकिक तथा पारलौकिक समस्त कार्यों में सफलता प्राप्त करता है।
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शिखा रखने से मनुष्य प्राणायाम, अष्टांगयोग आदि यौगिक क्रियाओं को ठीक-ठीक कर सकता है।
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शिखा रखनेसे सभी देवता मनुष्य की रक्षा करते हैं।
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शिखा रखने से मनुष्य की नेत्रज्योति सुरक्षित रहती है।
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शिखा रखनेसे मनुष्य स्वस्थ, बलिष्ठ, तेजस्वी और दीर्घायु होता है।