शंख वटी केफायदे, प्रयोग, खुराक औरनुकसान | Shankh Vati ke fayde | Shankh Vati benefits,uses,dosage and disadvantages in hindi
टैबलेट शंख वटी एक आयुर्वेदिक औषधि है जो मुख्य रूप से पाचन तंत्र की समस्याओं में फायदा पहुंचाती है । इस औषधि का सेवन करने से पाचन तंत्र से जुड़ी हुई विभिन्न समस्याएं जैसे पेट गैस, पेट में दर्द, अफारा, बदहजमी आदि में बहुत अच्छा लाभ मिलता है ।
शंख वटी के घटक द्रव्य : Shankh Vati Ingredients in Hindi
1.इमली क्षार – 60 ग्राम
2.सेन्धा नमक – 12 ग्राम
3.काला नमक – 12 ग्राम
4.मनिहारी नमक – 12 ग्राम
5.सामुद्र नमक – 12 ग्राम
6.साम्भर नमक – 12 ग्राम
7.नींबू का रस – 240 ग्राम
8.शुद्ध शंख – 60 ग्राम
9.भुनी हींग – 15 ग्राम
10.सोंठ – 15 ग्राम
11.काली मिर्च – 15 ग्राम
12.पीपल – 15 ग्राम
14.शुद्ध पारद – 3.5 ग्राम
15.शुद्ध गन्धक – 3.5 ग्राम
16.शुद्ध पारद – 3.5 ग्राम
17.शुद्ध गन्धक – 3.5 ग्राम
18.शुद्ध विष – 3.5 ग्राम
शंख वटी बनाने की विधि :
shankh vati शंख वटी इमली क्षार 60 ग्राम , सेन्धा नमक, काला नमक, मनिहारी नमक, सामुद्र नमक, साम्भर नमक, 12-12 ग्राम लेकर इनको 240 ग्राम नींबू के रस में घोल दें। पश्चात् शुद्ध शंख के टुकड़े 60 ग्राम को अग्नि में तपा-तपा कर तब तक बुझावें जब तक कि शंख के टुकड़े नरम होकर चूर्ण न होने लगें। फिर भुनी हींग, सोंठ, काली मिर्च, पीपल ये चारों द्रव्य मिश्रित 60 ग्राम, शुद्ध पारद 3.5 ग्राम , शुद्ध गन्धक 3.5 ग्राम लेकर प्रथम पारा-गन्धक की कज्जली बनावें, पश्चात् उनमें शुद्ध विष 3.5 ग्राम तथा उपरोक्त शंख के टुकड़ों का चूर्ण और शेष काष्ठौषधियों का सूक्ष्म कपड़छन चूर्ण कर एकत्र मिला नींबू रस के साथ दृढ़ मर्दन करें और 2-2 रत्ती (1 रत्ती = 0.1215 ग्राम) की गोलियाँ बना सुखाकर रख लें।
ध्यान दें :-नींबू के रस का वजन अनुभव के आधार पर लिखा गया है। शंख के टुकड़े 60 ग्राम की अपेक्षा शंख भस्म 60 ग्राम डालकर बनाने से यह वटी उत्तम बनती है।
शंख वटीके फायदेऔर उपयोग: Shankh Vati benefits and Uses (labh) in Hindi
1. यह औषधि शंख वटी का सेवन करने से अपच, बदहजमी एवं अफ़ारा में बहुत अच्छा आराम मिलता है ।
2.यदि ज्यादा भोजन कर लेने पर पेट में भारीपन हो गया हो या पेट में दर्द होता हो तो ऐसी स्थिति में शंख वटी का सेवन कराने से लाभ मिलता है ।
3. गरिष्ठ भोजन जैसे पूरी, पराठा, छोले भटूरे या कोई भी अन्य तली भुनी चीज खाने पर खाना हजम ना होता हो एवं पेट में बहुत अधिक भारीपन महसूस होता हो तथा पेट में खिंचाव होता हो तो ऐसी स्थिति में शंख भस्म का सेवन करने से लाभ होता है ।
4.शंख भस्म आमाशय में पड़े हुए अन्न को आगे गति कराने में सहायक होती है, जिससे भोजन जल्दी हजम होता है एवं पेट हल्का फुल्का महसूस होता है ।
5.रात का भोजन, गरिष्ठ भोजन या दुर्गंध युक्त बासा भोजन करने से अतिसार या डायरिया हो जाता है, इस स्थिति में रोगी के पेट में भयंकर दर्द होता है, सिर दर्द होता है, दुर्गंध युक्त मल आता है एवं रोगी बहुत अधिक व्याकुल हो जाता है, ऐसी स्थिति में शंख भस्म का सेवन कराने से लाभ मिलता है ।
6.शंख भस्म भोजन विश अर्थात फूड प्वाइजन को दूर करने के लिए सफल औषधि होती है ।
7.यदि ग्रहणी रोग बहुत ज्यादा बढ़ गया हो, तो इस अवस्था में शंख वटी का प्रयोग करने से ज्यादा लाभ नहीं मिलता है । इसलिए ग्रहणी रोग की प्रारंभिक अवस्था में ही यदि शंख वटी का सेवन कराया जाए तो ज्यादा अच्छा लाभ मिलता है ।
8.यह औषधि मंदाग्नि, अरुचि एवं उदर शूल में लाभदायक होती है ।
9. (shank vati )यह औषधि अमाशय, यकृत प्लीहा एवं छोटी आत एवं बड़ी आत इन अंगों पर विशेष प्रभावशाली होती है ।
10. अधिक भोजन कर लेने की अवस्था में उदर में भारीपन या वेदना होने पर इस वटी का सेवन अत्यन्त लाभकारी है। वातवर्द्धक या गरिष्ठ भोजन खाने पर कुछ समय के पश्चात् उदर में खूब खिंचाव-सा होना ज्ञात होता है। यहाँ तक कि श्वास लेने में भी रुकावट एवं चलने-फिरने में असमर्थता हो जाती है। ऐसी अवस्था में शंखवटी के सेवन से आमाशयिक विबन्ध को उत्तेजना मिलने पर अलसीभूत आमाशयिक अन्न को आगे गति करने में सहायता पहुँचती है। पश्चात उदर खिंचाव और व्यथा ये लक्षण कम हो जाते हैं।
11.अपक्व आहार, विदग्धाहारजनित मूर्छा, अत्याधिक भोजन, विष्टम्भकारक अन्न, कच्चे या अपक्व भोजन, पक्व या गरिष्ठ भोजन, शीतल पदार्थ या दुर्गन्ध युक्त भोजन का सेवन आदि कारणों से अतिसार उत्पन्न हो जाता है। इस विष से विष्टम्भ, वेदना, सिरदर्द, मुर्छा, भ्रम, पीठ और कमर का जकड़ जाना, जृम्भा, अंग टूटना, प्यास की अधिकता, ज्वर, छर्दि, प्रवाहिका, अरुचि, अपचन आदि विकार हो जाते हैं। इस अन्न विष से विदाह होकर अन्त्र की श्लैष्मिक कला भी विकृत हो जाती है और जलीय धातु की वृद्धि होने लगती है पश्चात् यही जलीय धातु अपक्व आहार में मिश्रित होकर अत्यन्त तीव्र अतिसार होने लगते हैं। साथ ही आफरा भी हो जाता है और उदर में मन्द-मन्द वेदना या कभी-कभो तीव्र शूल भी होने लगता है। वे सब उपद्रव अन्न-विष-जनित क्षोभ से होते हैं। इस अवस्था में भी यह वटी उत्तम कार्य करती है। ग्रहणी रोग की अत्यंत तीव्र अवस्था में इस वटी के प्रयोग से आशाप्रद लाभ नहीं होता, किन्तु तीव्रावस्था प्राप्त होने से पूर्व अग्निमान्द्य अजीर्ण, अन्न-विष के संचय आदि पर इस वटी का अच्छा प्रभाव होता है। ग्रहणी रोग की तीव्रावस्था में भी कफप्रधान लक्षण और शूल होने की दशा में इस वटी के सेवन से अच्छा लाभ होता है और मन्दाग्नि होने पर अरुचि और शूल आदि लक्षण हों, तो इससे अच्छा उपकार होता है।
12. जीर्ण बद्धकोष्ठ के विकार में क्षुद्रान्त्र और बृहदन्त्र के सन्धि स्थान पर अन्त्र-पुच्छ, बृहदन्त्र, इन स्थानों में अफरा या कब्ज होकर भयंकर त्रास, शूल, घबराहट आदि लक्षण उत्पन्न होने पर शंख वटी के सेवन से उत्तम लाभ होता है।
13. यह वटी वात-कफ जन्य दोष, रस दूष्य तथा आमाशय, यकृत, प्लीहा, ग्रहणी क्षुद्रान्त्र, वृहदन्त्र, इन स्थानों पर विशेष प्रभावकारी है।
शंख वटीकेसेवनकीमात्रा (How Much to Consume Shankh Vati?)
एक से दो गोली दिन में गर्म पानी के साथ सुबह शाम आयुर्वेद चिकित्सक निर्देशानुसार ही सेवन करें ।
शंख वटीकेसेवनकातरीका (How to Use Shankh Vati?)
यह औषधि शंख वटी की एक से दो गोली दिन में तीन बार सुबह, दोपहर, शाम को भोजन करने के पश्चात गुनगुने पानी से ले सकते हैं । अधिक जानकारी के लिए आप अपने डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं ।
विशेष सावधानी- गर्भवती महिला को प्रयोग सावधानी से करवाएं । क्योंकि इसके निर्माण में उष्ण द्रव्य का भी प्रयोग किया गया है ।
शंख वटीकेनुकसान(Side Effects of Shankh Vati):-
1.गर्भवती महिलाओं , स्तनपान कराने वाली माताओं और बच्चों को इस आयुर्वेदिक दवा से बचना चाहिए ।
2.अधिक खुराक से पेट में हल्की जलन हो सकती है।
3.हाई बीपी के रोगियों को इस दवा के सेवन में सावधानी बरतनी चाहिए क्योंकि इसमें एक घटक के रूप में नमक होता है।
4.शंख वटी को डॉक्टर की सलाह अनुसार ,सटीक खुराक के रूप में समय की सीमित अवधि के लिए लें ।
5. यह औषधि शंख वटी लेने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करें ।
शंख वटी कैसे प्राप्त करें ? (How to get Shankh Vati)
यह योग इसी नाम से बना बनाया आयुर्वेदिक औषधि विक्रेता के यहां मिलता है।
ध्यान दें :- Dcgyan.com के इस लेख (आर्टिकल) में आपको शंख वटी के फायदे, प्रयोग, खुराक और नुकसान के विषय में जानकारी दी गई है,यह केवल जानकारी मात्र है | किसी व्यक्ति विशेष के उपयोग करने से पहले चिकित्सक से परामर्श करना आवश्यक है |
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